What is Hyperloop
हाइपरलूप क्या है?
पहले के जमाने में ट्रांसपोर्टेशन के लिए घोड़े, खच्चर, ऊंट का प्रयोग किया जाता था। आज के समय में ट्रांसपोर्टेशन के चार मोड हैं रोड, पानी का जहाज, हवाई जहाज, ट्रेन। लेकिन अब पांचवा मोड हाइपरलूप आ गया है। यह बहुत तेज स्पीड से चलता है। इसे हाइपरलूप इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह पाइप के अंदर चलता है।
आइए समझते हैं इसकी स्पीड कितनी होती है इसमें अच्छाइयां क्या है, खराबी क्या है, यह काम कैसे करता है और इंडिया में कब तक आएगा। इसके आने के बाद क्या चेंज देखने को मिलेगा इंडिया में।
किसी भी ट्रांसपोर्ट में सबसे बड़ी बाधा होती है फ्रिक्शन और एयर ड्रैग। शिक्षण की वजह से गाड़ियों में फ्यूल की खपत ज्यादा होती है और गाड़ियों की स्पीड तेज नहीं हो पाती है। हाइपरलूप में फ्रिक्शन और एयर ड्रैग को खत्म कर दिया गया है। हाइपरलूप के अंदर की दीवारों को नॉर्थ पोल या साउथ पोल बना दिया गया और उसके बाहर की दीवारों को भी नॉर्थ पोल या साउथ पोल बना दिया गया। ऐसा करने से दोनों एक दूसरे को धकेलने लगेंगे। एक दूसरे से नहीं चिपकेगे। इस तरह से यह फ्रिक्शन को खत्म करती है।
हाइपरलूप में एयर ड्रैग वैक्यूम पाइप खत्म करते हैं। यह हवा को खींच लेते हैं। इसके अंदर एक बोगी की तरह पौड बना होता है। जिसमें 20 से 25 आदमी बैठ सकते हैं।
इसका मैक्नीजम काम करता है, इसमें एक लीनियर मोटर लगा होता है जो हाइपरलूप को आगे की तरफ धकेलता है।इसमें हवाओं को खींचने के लिए वैक्यूम पंप लगा होता है लेकिन वह कुछ हवाओं को छोड़ देता है जिसके लिए आगे की तरफ पंखे लगाए जाते हैं, जो हवाओं को पीछे की तरफ ढकेल देते हैं। इसके आगे पीछे फैन लगी होती है जिसकी वजह से हाइपरलूप को स्टार्ट करते हैं और ब्रेक लगाते हैं। इसमें बिजली की बहुत कम खपत होती है इसमें बिजली की आपूर्ति के लिए हाइपरलूप के ऊपर सोलर पैनल लगाए जाते हैं। दिन में सोलर पैनल चार्ज हो जाने के बाद रात में बिजली का यूज किया जाता है। हाइपरलूप एक कमरे के बराबर होता है। इसका कांसेप्ट 200 साल पुराना है। इसे ब्रिटेन में पहली बार औद्योगिक क्रांति के समय लगाया गया था। हाइपरलूप के प्रोग्राम को एलोन मस्क ने आगे बढ़ाया। एलोन मस्क ने 2013 में इस कॉन्सेप्ट को दुनिया के सामने रखा।
Hyperloop Benefits
इस पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे जीव जंतु दुर्घटना नहीं होगा। इससे पर्यावरण की क्षति नहीं होगी। इसमें मेंटेनेंस बहुत कम है। उसका किराया भी बहुत कम होगा। इसकी स्पीड 1200 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।
Hyperloop Cons
इससे स्टार्ट करने के लिए हयूज इन्वेस्टमेंट करना होगा। यह हमेशा सीधा चलती है, इसलिए पेड़ बहुत ज्यादा मात्रा में काटे जाएंगे। इसमें लो प्रेशर होगा। इसमें केवल एक एक पौड जा सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी समस्या भूकंप है। हाइपरलूप की स्पीड इतनी तेज है कि भूकंप आने पर भी इसे पता नहीं चलेगा और यह बर्बाद हो जाएगा।
भारत में यह मुंबई से पुणे चलने की तैयारी में थी। वर्जिन हाइपरलूप इसको बनाने की तैयारी में थी। लेकिन जब उद्धव ठाकरे की सरकार आई तो उन्होंने इस प्रोग्राम को रोक दिया। उन्होंने कहा कि यह बहुत खर्चीला है। पहले इससे किसी अन्य देश में ट्रायल किया जाए, अगर यह सक्सेसफुल हो जाएगा तो हमारे देश में भी शुरू किया जाएगा।