भारत के सबसे धनी उद्योगपति मुकेश अंबानी अब फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार के भी मालिक बन गये है. रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) ने फ्यूचर ग्रुप के रिटेल, होलसेल बिजनेस, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस बिजनेस को खरीद लिया है. रिलायंस रिटेल व फ्यूचर ग्रुप के बीच यह डील 24 हजार 713 करोड रूपये में हुई है. इस डील के साथ ही बिग बाजार, फूड बाजार, ई-जोन व अन्य रिटेल बिजनेस रिलायंस की हो गयी. रिलायंस रिटेल वेंचर लिमिटेड (आरआरवीएल) फ्यूचर समूह के खुदरा और थोक कारोबार और लॉजिस्टिक्स और स्टोरेज कारोबार का अधिग्रहण की है. दोनों कंपनियों के बीच यह सौदा एक विशेष स्कीम के तहत हुआ. जिसमें फ्यूचर ग्रुप भविष्य में बिजनेस करने वाली कुछ कंपनियों का फ्यूचर एंटरप्राइज लिमिटेड (एफईएल) में विलय कर रहा है. मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक फ्यूचर ग्रुप पर 10 हजार 951 करोड रूपये कर्ज था. 30 सितंबर 2019 को यह 12 हजार 778 करोड हो गया. दोनों कंपनियों के बीच सलम्प सेल के अंतर्गत डील हुई है. इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक जब किसी ग्रुप की कंपनी दूसरे ग्रुप को ट्रांसफर की जाती है और इस दौरान अलग अलग कंपनियों पर डेट व लैबिटीज के को नजरअंदाज कर एकमुश्त रकम में डील फाइनल होती है तो उसे सलम्प सेल कहते हैं. इसके बाद बिग बाजार का सबसे सस्ता, सबसे अच्छा टैगलाईन से पहचान मिली थी. इसे लेकर जनवरी 2020 में 500 मिलियन बॉन्ड जारी किये थे. साथ ही फिक्स्ड कोस्ट, कॉरपोरेट ओवरहेड, ऑपरेशन, पीपल कोस्ट एंड मार्केटिंग कोस्ट में कटौती की गयी. 177 स्मॉल फॉर्मेट स्टोर्स बंद कर दिए गए थे. फ्यूचर कूपोंस को 1500 करोड़ में अमेज़ॉन एवं सामरा को बेच दिया. इस बीच देश में कोरोना महामारी व गिरती अर्थव्यवस्था के कारण स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. कोरोना ने कंपनी की वित्तीय हालत को और बिगाड़ दिया. लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर स्टोर्स को बंद करना पड़ा. अंततः इसे रिलायंस इंडस्ट्रीज के रिटेल कंपनी को बेच दिया. पुरे देश में बिग बाजार के 295 स्टोर्स है. जहाँ लगभग 77 हजार लोग काम करते हैं. इस डील के बाद सभी की नौकरी सुरक्षित रह गयी. इससे रिलायंस फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार, ईजीडी एवं एफबीबी के 1500 से अधिक स्टोर्स तक पहुंच बनायेगी, जो देश के 420 शहरों में फैले हुए हैं. रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक ईशा अंबानी के अनुसार भारत में आधुनिक रिटेल के विकास में यह डील अहम भूमिका निभायेगी. इससे छोटे व्यापारियों, किराना स्टोर्स एवं बडे उपभोक्ता ब्रांडो के तालमेल से रिटेल सेक्टर को रफ्तार मिलेगी. फ्यूचर ग्रुप के पॉपुलर ब्रांड के साथ-साथ उसके व्यावसायिक ईकोसिस्टम को संरक्षित करने में हमें खुशी होगी. शहरी उभोक्ताओं के लिए बिग बाजार वर्षों से रोजमर्रा के सामान की पूर्ति का केंद्र रहा है. साडियों का कारोबार करने वाले मारवाडीह परिवार में जन्में किशोर बियानी को भारत के ऑर्गनाइज्ड रिटेल बिजनेस का फादर कहा जाता है. 26 साल की उम्र में फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने पहला स्टोर पैंटालून के नाम से खोला था. इरेस्टव्हील मंज़ वेयर के नाम से उन्होंने 1987 में रिटेल बिजनेस की शुरुआत की थी. बाद में 1997 में पेंटालून के साथ कारोबार को आगे बढ़ाया. उन्होंने पेंटालून के फ्रैंचाइजी मॉडल को काफी तेजी से बढ़ाया और देखते ही देखते पूरे भारत में इसके स्टोर खुल गए. कम प्राइस की मदद से उन्होंने कस्टमर्स को लुभाया और यह काफी सफल भी रहा. वर्ष 2001 सितंबर में भारत में पहला बिग बाजार स्टोर खोला गया था. 2008 की आर्थिक मंदी के बाद कंपनी के कारोबार पर काफी बुरा असर हुआ. धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ता चला गया. 2012 में कर्ज के बोझ को कम करने के लिए उन्होंने पेंटालून को आदित्य बिरला ग्रुप को बेच दिया. यह डील 1600 करोड़ में हुई थी और उस समय ग्रुप पर कुल 7850 करोड़ का कर्ज था. उसके बाद लगातार कंपनी पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया. हालांकि रिटेल बिजनस को बढ़ाने के लिए किशोर बियानी ने कई कंपनियों को खरीदा और रिटेल स्टोर की संख्या में तेजी से इजाफा किया. देश में आधुनिक रिटेल की बुनियाद रखने वाले बिग बाजार में आज कपड़ा, जूते-चप्पल से लेकर किराना सामान, डेयरी प्रोडक्ट, नॉन वेज प्रोडक्ट, स्टेशनरी, टॉयलेटरीज, होम फर्निशिंग आदि सभी चीजों की बिक्री की जाती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिटेल बिजनेस में 3 करोड़ किराना स्टोर मालिकों और 12 करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा हैं. फ्यूचर समूह के खुदरा व्यापार, थोक एवं सप्लाई चेन व्यवसाय के अधिग्रहण से रिलायंस की बाजार में स्थिति मजबूत होगी.
यह लेख आपको कैसा लगा comment करके जरुर बताएं.
इस डील के बाद रिलायंस रिटेल स्टोर्स का दायरा 18 हजार तक बढ़ सकता है. कंपनी का रेवेन्यू भी 26,000 करोड़ रुपए बढ़ जाएगा और भारतीय रिटेल बाजार की एक-तिहाई हिस्सेदारी पर कब्जा होगा. साथ ही लोगो को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से नौकरी से जोड़ा जाएगा. जिससे लोग आत्मनिर्भर बनेंगे.