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Kuwait :- A Gulf Country

कुवैत संकट :-
कुवैत मध्य एशिया (Middle East) में स्थित एक खाड़ी देश है. इसका Official नाम Dawlat al-Kuwayt (State of Kuwait) है. वर्तमान में इसकी राजधानी कुवैत सिटी है. यहां के प्रधानमंत्री Sabah Al-Khalid Al-Sabah है. इसकी राजकीय भाषा अरबी है यहां की धार्मिक स्थिति पूर्ण इस्लामिक है. यहां की मुद्रा कुवैती दिनार (KD) है जिसका डॉलर में मूल्य 1 USD = 0.308 KD है. यहां की जनसंख्या 48 लाख है. यहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पेट्रोलियम पदार्थ पर निर्भर है. यहां के लोगों की जीवन शैली काफी उच्च स्तर की है. ये लोग शानोशौकत के साथ जिन्दगी जीना पसंद करते हैं इनको दिनचर्या के कामों से दूरी पसंद है इसलिए यहां के लोग इन सब कार्यों के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर हैं.

भारत और कुवैत के संबंध शुरू से अच्छी रही है. दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार का विवाद नहीं रहा है. दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते भी काफी अच्छे रहे हैं. भारत का एक कच्चे तेल काअच्छा सप्लायर रहा है. भारत की ओर से कुवैत को फूड आइटम, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिकल एंड इंजीनियरिंग इक्विपमेंट, सेरामिक, ऑटोमोबाइल्स, केमिकल्स, ज्वेलरी, मेटल प्रोडक्ट आदि सप्लाई किये जाते हैं. कुवैत की तरफ से भारत को एक अच्छी रकम भुगतान की जाती है भारत को कुवैत से जो सबसे अच्छी रकम प्राप्त की होती है वह है, वहां भेजे जाने वाले वर्कर (Human Recourse).

Indian embassy in Kuwait के अनुसार 28000 इंडियन कुवैत के सरकारी नौकरी में है. जिनमे नर्सेस, इंजीनियर और कुछ साइंटिस्ट भी है. इसके बाद वहां 5,23,000 भारतीय वहां के प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं. वहां के शिक्षण संस्थानों में लगभग 60,000 भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं. इन सबके अलावा भी वहां भारत का एक बहुत बड़ा वर्ग वहां हार्ड वर्क (दैनिक मजदूरी) के लिए जाता है. सभी को मिलाकर अगर बात की जाए तो लगभग भारत की 15 लाख जनसंख्या कुवैत में किसी ना किसी कार्य के लिए निवास करती है, क्योंकि यहां किसी भी काम के लिए लोगों को अच्छा वेतन दिया जाता है. यह कुवैत में रहने वाले लोग भारत में 500 अरब डॉलर प्रति वर्ष भेजते हैं जिससे हमारे देश को बहुत ही अच्छी आमदनी प्राप्त होती है और हमारे देश को 2 बड़े फायदे होते हैं पहला 15 लाख लोग यहां न रहकर कुवैत में निवास करते हैं जिससे संसाधन बोज कम पड़ता है, दूसरा यहां के जरिए आसानी से विदेशी मुद्रा प्राप्त हो जाती है.
Expat Quota Bill
कुवैत की कुल जनसंख्या 48 लाख जिससे मैं लगभग 34 लाख विदेशी रहते हैं देखा जाए तो यहाँ की आबादी से 70% से भी ज्यादा विदेशी लोग निवास करते हैं.

अब इस बिल के तहत यहां विदेशी व्यक्तियो का कोटा 30% कर दिया जाएगा और उसमें भी 15% भारतीयों के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा. परिणाम स्वरूप अगर देखा जाए तो लगभग 8 भारतीयों को छोड़ने की स्थिति आ जाएगी. यह हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या है. कुवैत के इस बिल के पीछे जो मुख्य कारण रहे हैं उसमें पहला है, कि वह अब उनके जो ग्राहक देश हैं वह अब एनर्जी के विकल्प में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जैसे भारत में अब ई रिक्शा का चलन बढ़ा है लगभग 70 लाख ई-रिक्शा भारत की सड़कों पर चलने लगी है जिससे पेट्रोलियम पर निर्भरता निकट भविष्य में कम होती दिख रही है दूसरा महत्वपूर्ण कारण है रूस और अमेरिका का ट्रेड वर जिसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ा है. तीसरे कारण में यह है कि सरकार अब अपने नागरिकों को स्किल्ड करना चाहती है ताकि उनकी निर्भरता दूसरों पर कम हो. इसके अलावा चौथा और सबसे बड़ा कारण है वह कोविड-19 का संकट जिससे आज पूरा विश्व जूझ रहा है कोरोना के चलते हर देश लॉकडाउन की स्थिति से गुजर रहा है. ऐसे में पेट्रोलियम की खपत बहुत कम हो गई है और इसका सीधा असर उनके व्यापार पर पड़ा है. इस बिल को लाकर अपनी स्थिति को यथावत रखना चाहते हैं.

भारत की 80 लाख जनसंख्या खारी देशों में निवास करती है.
असर :-
भारत पर इस बिल का बहुत बुरा असर होने वाला है क्योंकि इससे साफ रूप में आठ लाख जनसंख्या भारत वापस आ जाएगी और यहां के संसाधनों पर बोझ बढ़ जाएगा. यहाँ जो कि पहले से ही बेरोजगारी की स्थिति भयावह है, ऐसे में इन 8लाख लोगों को रोजगार देना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी. इसका जो दूसरा परिणाम होने वाला है वह दूसरे खाड़ी देशों पर भी होने वाला है वह भी इस तरह का बिल ला सकते हैं और जिससे भारत की स्थिति बहुत ही खराब होगी क्योंकि इन खाड़ी देशों में भारत की 80 लाख जनसंख्या निर्भर है. ऐसे में इन सभी पर बहुत ही ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ेगा.
उपाय :-
इसका सबसे अच्छा उपाय है कि यहां की सरकार रोजगार के लिए ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योगों, मध्यम उद्योगों को बढ़ावा दें क्योंकि इन उद्योगों से बहुत सारे लोग निर्भर हो सकते हैं और इन उद्योगों में लगने वाले TAX की समस्या को आसान बनाया जाए. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस तरह के उद्योग लगा सके. इसके बाद वे कंपनियां जो अब चीन को छोड़कर जा रही हैं उनको भारत में लाने का प्रयास किया जाए क्योंकि इससे रोजगार के बहुत सारे रास्ते खुलेंगे और यह तभी संभव है जब यह टेक्स हम भी प्रावधान को हल्का बनाए जाए उद्योग लगाने संबंधी कानून हल्के बनाए जाएँ और कठोर नियमों को कठोर नियमों को पूरी तरह से समाप्त किया जाए ,
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ताकि उद्योग लगाने में दिक्कत का सामना ना करना पड़े यहां के जो लेबर लॉ हैं उसको भी आसान बनाया जाए और यहां के लेबर के लिए उनका ट्रेनिंग कैंप की व्यवस्था की जाए क्योंकि भारत में काम करने वाले मजदूर हार्ड वर्कर तो हैं वह मेहनत तो पूरी तरीके से कर सकते हैं लेकिन स्किल्ड नहीं और इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार जो इस तरह के कार्य कर रहे हैं उनको सहयोग करें उनके लिए कान की प्रक्रिया आसान बनाएं तभी वहां की जरूरत समाप्त हो सकती है.